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विद्या भारती की शिशुवाटिका संकल्पना

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जिस प्रकार 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात महाविद्यालय अध्ययन का स्थान है उसी प्रकार प्राथमिक से पूर्व शिशुवाटिका 3-5 वर्ष तक के बच्चों के लिए अध्ययन क स्थान है । शासकीय भाषा में इसे पूर्व प्राथमिक तथा सामान्य भाषा में इसे नर्सरी स्कूल या मोंटेसरी आदि स्कूल कहते हैं । परन्तु विद्या भारती ने इसे शिशुवाटिका का नाम दिया है । जन्म से 5 वर्ष तक की आयु की अवस्था को शिशु अवस्था कहा जाता है । इस अवस्था के बालक को शिशु नाम से सम्बोधित करते हैं । वाटिका का अर्थ है आनन्द , प्रमोदयुक्त विहार का स्थान । शिशुवाटिका एक विद्यालय होने के उपरांत एक शिशु शिक्षा पद्धति है । शिशु शिक्षा केवल मनोरंजन का विषय नहीं है और न ही औपचारिक शिक्षा का विषय  है । यह संस्कार का क्षेत्र है , जीवन विकास की नींव है , सम्पूर्ण जीवन यात्रा का महत्वपूर्ण खण्ड है । अतः हमें इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए । भारत में पांच वर्ष की आयु तक के बालक को विद्यालय में भेजने की प्रथा नहीं थी परंतु आज की भाग-दौड़ की जीवन शैली के चलते बालक को माता-पिता का संसर्ग प्राप्त नहीं होता तथा संय

संस्कार केंद्र की एक भावनात्मक घटना

गीता शिक्षा सदन महम के शक्ति संतोष संस्कार केंद्र में जाना हुआ।श्रीमती वीना परूथी जी इस केंद्र की संचालिका हैं। एक लड़की दुकान से 5-5 रूपये के 2 बिस्कुट के पैकेट लाई। मैंने पूछा आपकी दीदी ने फिजूल खर्च के लिए मना किया था तो ये क्यों लाए?बिस्कुट लाने वाली लड़की ने कहा कि अपने लिए नही लाई मैं तो बहन नेहा के लिए लाई हूँ। मैंने नेहा से पूछा कि घर से पैसे क्यों लाए हो? उसने कहा मैं नही लाई। यही लड़की लाई है मेरे लिए। ऐसा कह कर लड़की रोने लगी। मैंने प्यार से उसे अपने पास बिठा कर पूछा तो उसने संयत होकर कहा कि मैं सरकारी स्कूल में पढ़ती हूँ। हम 2 बहनें व 2 भाई है। बड़ा भाई पिता जी के साथ मजदूरी करता है। छोटा कक्षा 9 में पढता है। माँ घर पर ही रहती है। एक छोटी बहन है वह भी संस्कार केंद्र पर आती है। माँ का व्यवहार मेरे प्रति ठीक नहीं है। ये घटना सुन शेष बच्चे भी सहमे हुए लग रहे थे। मैंने बच्चों से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह रोज भूखी आती है। आज नेहा ने सुबह थोड़े से बासी चावल पानी में घोलकर खाए थे तो भी माँ ने मारा। इसलिए मैं इसके लिए बिस्कुट लाई हूँ। इतने में संस्कार केंद्र के भैया लोकेश आए और एक टिफ़

Global Trends in Education of 21st Century - Challenges and Approach

Here are the tips for the above said topic penned by Dr.D. Ramakrishana Rao to have an education system which pertains to the requirement in the present era. India is poised to become a global leader and super power as per the opinion and prediction of experts and analysts. At this critical juncture, Bharat has to put in its best possible efforts to become a global competitor in the field of education also. Without following and tracing the latest trends in global education arena. Our nation cannot transform or metamorphose into a global player maintaining world class standards which are very much essential for ensuring equity first, acceptance for ensuring equity first acceptance next and efficiency ultimate. Our specialty by following trends. Leading countries with their specialties, priorities, nature, character and needs protected, have established institution of global standards by mapping the latest trends in the world. Chinese concentration on vocational educational