सरस्वती वंदना – शब्दार्थ व भावार्थ
विद्यार्थियों को संस्कारक्षम शिक्षा प्रदान करने तथा उन्हे देश-समाज के प्रति संवेदनशील बनाने के विद्या भारती के लक्ष्य की पूर्ति में वंदना एक प्रमुख घटक है । “ वंदना पवित्रता और आध्यात्मिकता के वातावरण में विद्या की अधिष्ठात्री माँ सरस्वती , ओंकारस्वरूप परमात्मा तथा जीवन दायिनी-पालनकारिणी भारतमाता का चिंतन और श्रद्धा भाव का जागरण हमारे भैया-बहिनों के मन में एकाग्रता , आध्यात्मिकता , राष्ट्रभक्ति , ईश्वर निष्ठा तथा सामाजिक संवेदना और एकात्मता का भाव भरने में सफल हो ” यही वंदना का उद्देश्य है । इन श्रेष्ठ विचारों , सद्भावों , उत्तम गुणों को आत्मसात करके भैया -बहिन निश्चय ही श्रेष्ठ और जिम्मेदार नागरिक बनेंगे और राष्ट्र सेवा में प्रवृत्त होंगे ऐसा विश्वास है । कोई भी कथन तब तक प्रभावी एवँ हृदयग्राही नहीं होता जब तक कि शब्दों में छिपे अर्थ का बोध न हो । शब्द निर्जीव होते हैं , अर्थ ही उन्हे सजीव एवँ सार्थक करता है । वंदना का अर्थ यदि हृदयंगम होगा तभी शब्द भावानुगत होकर प्रभावी हो पायेंगे । सामान्य आचार्य वंदना के अर्थ से भली-भांति परिचित हो तभी वह भैया-बहिनों तक वास्तविक अर्थ संप्रे...