संस्कार केंद्र की एक भावनात्मक घटना

गीता शिक्षा सदन महम के शक्ति संतोष संस्कार केंद्र में जाना हुआ।श्रीमती वीना परूथी जी इस केंद्र की संचालिका हैं। एक लड़की दुकान से 5-5 रूपये के 2 बिस्कुट के पैकेट लाई। मैंने पूछा आपकी दीदी ने फिजूल खर्च के लिए मना किया था तो ये क्यों लाए?बिस्कुट लाने वाली लड़की ने कहा कि अपने लिए नही लाई मैं तो बहन नेहा के लिए लाई हूँ। मैंने नेहा से पूछा कि घर से पैसे क्यों लाए हो? उसने कहा मैं नही लाई। यही लड़की लाई है मेरे लिए। ऐसा कह कर लड़की रोने लगी। मैंने प्यार से उसे अपने पास बिठा कर पूछा तो उसने संयत होकर कहा कि मैं सरकारी स्कूल में पढ़ती हूँ। हम 2 बहनें व 2 भाई है। बड़ा भाई पिता जी के साथ मजदूरी करता है। छोटा कक्षा 9 में पढता है। माँ घर पर ही रहती है। एक छोटी बहन है वह भी संस्कार केंद्र पर आती है। माँ का व्यवहार मेरे प्रति ठीक नहीं है।

ये घटना सुन शेष बच्चे भी सहमे हुए लग रहे थे। मैंने बच्चों से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह रोज भूखी आती है। आज नेहा ने सुबह थोड़े से बासी चावल पानी में घोलकर खाए थे तो भी माँ ने मारा। इसलिए मैं इसके लिए बिस्कुट लाई हूँ। इतने में संस्कार केंद्र के भैया लोकेश आए और एक टिफ़िन जिसमें 4 रोटियां व भिन्डी की सब्जी थी बहन नेहा को दे कर बोला कि बहन खाना खा लो।

मैंने लोकेश से पूछा तो वह भी अत्यंत गरीब परिवार का लड़का है। पिता जी मजदूरी करते हैं। जो कमाते हैं शराब पी जाते हैं। फिर भी वह घर से खाना लाया और ज्यादा पूछने पर बच्चों ने बताया की हम सब गरीब हैं पर अपने किसी भैया बहन को भूखा नही रहने देते इसलिए बारी बारी से खाना लाकर नेहा को दे देते हैं।
जिस दिन कोई नही लाता तो हमारी दीदी (वीना दीदी) अपने घर से खाना मंगवा देती हैं। वो हमें एक दूसरे की मदद करने को कहती हैं और स्वयं भी करती हैं।
मेरे पूछने पर बच्चों ने बताया कि दीदी ने हम सबको व हमारी माँ के लिए भी पहनने के कपडे दिए हैं।

मुझे नेहा बहन व लोकेश भैया के परिवार पर तो तरस आ रहा था व बच्चों पर व वीना जी पर गर्व हो रहा था साथ ही संस्कार केंद्र की सार्थकता भी समझ में आ रही थी।

समाज में सम्पन्नता है परंतु समानता व समरसता के लिए बहुत कुछ करना शेष है। संस्कार केंद्र के माध्यम से सहज परिवर्तन हो रहा है। हमें इस ओर अधिक ध्यान देना होगा।

                                                       - सुभाष शर्मा

Comments

Popular posts from this blog

सरस्वती वंदना – शब्दार्थ व भावार्थ

विद्या भारती की शिशुवाटिका संकल्पना